RBI : समय पूर्व कर्ज चुकाने पर नहीं देना होगा शुल्क एक जनवरी 2026 से लागू होगा नियम

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RBI Floating Rate : आरबीआइ ने फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वालों को दी राहत, एक जनवरी 2026 से लागू होगा नियम अभी तक इस तरह के कर्ज को समय से पहले चुकाने पर बैंकों की तरफ से लगाया जाता है अतिरिक्त शुल्क अभी RBI ने फ्लोटिंग रेट वाले लोन एकाउंट को निर्धारित सीमा से पहले बंद कराने को लेकर हैं अलग-अलग नियम

समय पूर्व अदायगी को हतोत्साहित करते हैं वित्तीय संस्थान Financial Institutions

आरबीआइ को अध्ययन में इस बात का पता चला था कि वित्तीय संस्थान कुछ ग्राहकों को समय से पहले कर्ज अदायगी को हतोत्साहित करते हैं। इससे ग्राहकों को कई बार कम दर पर कर्ज लेने से वंचित रहना पड़ जाता है। नए नियम के जरिये इसे खत्म करने की कोशिश की गई है। आरबीआइ ने यह भी

 

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कहा है कि कैश क्रेडिट अथवा ओवरड्राफ्ट सुविधाओं के मामले में यदि उधारकर्ता ऋण समझौते में निर्धारित अवधि से पहले सुविधा को नवीनीकृत नहीं करने के अपने इरादे के बारे में बैंक को सूचित करता है तो कोई पूर्व भुगतान शुल्क लागू नहीं होगा, बशर्ते कि सुविधा नियत तिथि पर बंद हो जाए।

10 वर्षों में 11.8 करोड़ महिलाओं ने पहली बार लिया कर्ज

पिछले 10 सालों के दौरान देश की 11.8 करोड़ महिलाओं ने पहली बार कर्ज लिया। इससे उन्हें ऐसे अवसर प्राप्त हुए जो पहले उनके लिए उपलब्ध नहीं थे। ट्रांसयूनियन सिबिल द्वारा यहां एक सम्मेलन में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों के दौरान 71.40 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को किसी न किसी तरह का कर्ज मिला है। इसका देशभर के परिवारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

RBI फ्लोटिंग रेट

अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर कारोबारी उद्देश्य से किसी तरह का बैंकिंग कर्ज ले रखा है तो बेझिझक उसे समय से पहले भुगतान करके बंद करा सकते हैं। आरबीआइ ने इस बारे में नया नियम लागू कर दिया है।

 

RBI
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इसके तहत कारोबारी लोन लेने वाले व्यक्तियों या छोटी और मझोली औद्योगिकी इकाइयां (एसएमई) अब निर्धारित अवधि से पहले कर्ज का भुगतान बगैर किसी अतिरिक्त शुल्क दिए कर सकते हैं। अभी तक इस तरह के कर्ज को समय से पहले चुकाने पर बैंकों की तरफ से अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता रहा है, जिसे फोरक्लोजर चार्ज कहते हैं।

RBI का नया नियम 01/जनवरी/2026 से लागू होगा

आरबीआइ का नया नियम एक जनवरी, 2026 से लागू होगा और यह मुख्य तौर पर वाणिज्यिक बैंकों, श्रेणी -चार वाले शहरी सहकारी बैंकों और गैर-सरकारी वित्तीय कंपनियों (इन्हें आरबीआइ बेहद महत्वपूर्ण मानता है) पर लागू होगा। आरबीआइ के इस नियम का बैंकिंग कर्ज व्यवस्था में दूरगामी

असर पड़ने की बात कही जा रही है, क्योंकि अब ग्राहक एक बैंक की सेवा से संतुष्ट नहीं होने पर दूसरे बैंक से कर्ज लेकर पहले वाले बैंक का आसानी से भुगतान कर देगा यानी दूसरे बैंक में चला जाएगा। इससे बैंकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। आरबीआइ ने बुधवार को इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है।

दिशानिर्देश तैयार करने से पहले एक समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट पर लंबी बहस के बाद नई नियमावली तैयार की गई है। आरबीआइ ने कहा भी है कि एमएसई को आसानी से और किफायती दर पर लोन उपलब्ध कराना बहुत ही महत्वपूर्ण है। आरबीआइ की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया था

कि पूरे देश में अलग- अलग वित्तीय संस्थानों में फ्लोटिंग रेट वाले लोन एकाउंट को निर्धारित समयसीमा से पहले बंद कराने को लेकर अलग-अलग नियम हैं।एमएसई को खासतौर पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें समय से पहले कर्ज अदा करने के लिए अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है। आरबीआइ का यह नियम छोटे वित्तीय बैंक (एसएफबी), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों व क्षेत्रीय बैंकों पर लागू नहीं होगा।

 

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