मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान के दौरान कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने जनपद पंचायत नरसिंहपुर की ग्राम पंचायत बचई एवं चौराखेड़ा में लगाये गये शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने यहां शिविर में आये आवेदनों एवं उनके निराकरण की जानकारी ली।
कलेक्टर ने ग्राम पंचायत बचई में 70 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों और मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिकों के आयुष्मान कार्ड बनाये जाने की जानकारी ली। यहां उन्हें बताया कराया गया कि 70 वर्ष से अधिक आयु के कुल 54, कर्मकार मंडल के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों के कुल 4 और 70 वर्ष से कम आयु वाले 980 लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
लोगों की समस्याएं सुन कार्य समाधान
771 लोगों के आयुष्मान कार्ड बन गये हैं, 18 व्यक्ति ग्राम से बाहर व 6 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है। आज शिविर में 75 आवेदन आये, जिनमें से 45 आवेदनों का मौके पर ही निकराकरण किया गया। इन आवेदनों में मुख्य रूप से लाड़ली लक्ष्मी योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, संबल कार्ड, पेंशन, जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र, नक्शा व खसरा दुरस्ती से संबंधित थे। इसी तरह पंचायत चौराखेड़ा में 52 आवेदन आये, जिनमें से 32 का मौके पर ही निराकरण किया गया।
ग्राम रोजगार सहायक सचिव को दिया निर्देश
कलेक्टर श्रीमती पटले ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, ग्राम रोजगार सहायक, सचिव को निर्देशित किया कि जिन व्यक्तियों के आधार कार्ड, मोबाइल से लिंक नहीं है, उन्हें आधार अपडेट कराने के लिए भेजें और इसका फॉलोअप लेते रहें। यहां उन्होंने ग्रामवासियों से भी रूबरू संवाद किया। ग्राम पंचायत चौराखेड़ा में जर्जर किचन शेड व सामुदायिक कक्ष के मरम्मत के भी निर्देश दिये।
कलेक्टर ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खुरपा का किया निरीक्षण
आपको बता दे कि कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खुरपा का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने ओपीडी कक्ष, दवाईयों की उपलब्धता की स्थिति, टीबी जांच, पैथोलॉजी, प्रसव कक्ष सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया।
कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्त जानकारी आमजन तक सुगमता से उपलब्ध हो। संस्था प्रभारी डॉ. हेमंत लालवानी ने बताया कि यहां प्रतिदिन लगभग 100 ओपीडी की जाती है। अभी ज्यादातर मरीज सर्दी, खांसी एवं बुखार के आ रहे हैं। टीबी की जांच यहां माइक्रोस्क्रोप तरीके से होती है। कलेक्टर ने यहां नि:शुल्क की जा रही विभिन्न जांचों की भी जानकारी ली।
नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान
नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। मृदा का कार्बनिक पदार्थ कम होने के साथ- साथ नरवाई जलाने से मृदा के लाभकारी सूक्ष्म जीव भी नष्ट होते हैं। धान की कटाई के उपरांत नरवाई जलाने से गेंहूँ की बुवाई समय पर नहीं हो पाती, जिससे फसल पकने की अवस्था में तापमान बढ़ने से गेहूँ की फसल को अधिक तापमान से गुजरना पड़ता है और उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। इसके चलते खेत में केंचुए मर जाते हैं और लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता में भी कमी आती है, जिससे फसलों की पैदावार प्रभावित होती है। मृदा की उर्वरा शक्ति का हृास होता है।
फसल अवशेष जलाने की बजाय खाद बनाने में करे इस्तेमाल
फसल अवशेष जलाने के बजाय उसे खाद बनाने की सलाह दी कृषि विभाग द्वारा दी गई है। किसानों को सलाह दी गई कि वे फसल अवशेष को जुताई कर मिट्टी में मिलाएं और इससे नाडेप या वर्मी कंपोस्ट बनाएं। इससे खेत की जलधारण क्षमता बढ़ती है और उपजाऊ शक्ति में सुधार होता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार अब फसल कटाई के बाद नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस संबंध में जिला दंडाधिकारी नरसिंहपुर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 223 के तहत प्रतिबंध भी लगाया है।
प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण
राज्य शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के अंतर्गत जारी अधिसूचना के प्रावधानों के अनुपालन में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिसूचित किया गया है। मप्र में वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के तहत नरवाई जलाना तत्समय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है, जो वर्तमान में निरंतर है।
पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना के अंतर्गत नरवाई में आग लगान वालों के विरूद्ध क्षतिपूर्ति के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। दो एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये, दो से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5 हजार रुपये और 5 एकड़ से बड़े कृषकों को 15 हजार रुपये का अर्थदंड प्रति घटना का प्रावधान किया गया है।