Brahmos Missile : ब्रह्मोस मिसाइल की शौर्य गाथा पढ़ेंगे स्कूली बच्चे, क्या खासियत है ब्रह्मोस मिसाइल में जाने संपूर्ण जानकारी

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Brahmos Missile 2025 : Brahmos Missile 2025 आकाश मिसाइल के पराक्रम से भी विद्यार्थी होंगे रूबरू, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिए संकेत शिक्षा मंत्रालय ने सभी भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की योजनना बनाई।

क्या आप जानते है ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) एक लंबी दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, लड़ाकू विमानों या TEL से लॉन्च किया जा सकता है। यह भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रूसी संघ के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिन्होंने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन किया है। ओर जानकारी के लिए पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।

Brahmos Missile ब्रह्मोस मिसाइल की क्या खासियत है

  • रफ्तार  :  9,878 किमी प्रति घंटा
  • मारक क्षमता  :  400 किलोमीटर
  • वजन  :  1290 किलोग्राम
  • लंबाई  :  8.4 मीटर
  • भार ले जाने की क्षमता  :  3,000 किग्रा

यह है आकाश की खूबी

 

  • रफ्तार  :  3,087 किमी प्रति घंटा
  • रेंज  :  80 किलोमीटर
  • वजन  :  720 किलोग्राम
  • लंबाई  :  5.78 मीटर
  • भार ले जाने की क्षमता  :  60 किलोग्राम

 

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Operation Sindoor आपरेशन सिंदूर

आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को घुटने के बल लाने वाली ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की शौर्य गाथा से अब स्कूली बच्चे भी रूबरू होंगे। शिक्षा मंत्रालय ने इसे सभी भारतीय भाषाओं में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बनाई है। यह विषयवस्तु स्कूलों में अतिरिक्त गतिविधियों के रूप में रोचक तरीके से प्रस्तुत की जाएगी।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को एक कार्यक्रम में इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल की ताकत हमारी शिक्षा व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण है। ऐसे में हमें शोध पर अधिक बल देना चाहिए। इसके लिए पीएम रिसर्च फंड में भी जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस पहल से बच्चों में भी शोध के प्रति रुझान बढ़ेगा, साथ ही राष्ट्रीय जुड़ाव बढ़ाने को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

 

Brahmos Missile
Brahmos Missile

 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्कूली स्तर पर ऐसे बीज रोपने की सिफारिश की गई है, ताकि बच्चे भविष्य में शोध और नवाचार के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर सकें। बच्चों को यह विषयवस्तु अतिरिक्त स्कूली गतिविधियां के साथ बगैर बस्ते वाले दिनों (बैगलेस-डे) में पढ़ाई जाएगी। वर्तमान में स्कूलों में साल में कम से कम 15 दिन बगैर बस्ते वाले दिन आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय इसे हफ्ते में एक दिन आयोजित कर रहे हैं। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान की सफलता की कहानी को बच्चों के बीच जिस रोचक तरीके से पहुंचाया गया था, इससे वह बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ गया था। ठीक उसी तर्ज पर ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की सफलता की कहानी भी बच्चों की

बीच पहुंचाई जाएगी। बच्चों को यह बताया जाएगा कि कैसे इन मिसाइलों ने पाकिस्तान की मिसाइलों को न सिर्फ हवा में ही मार गिराया था बल्कि इन मिसाइलों ने पाकिस्तान के सारे सुरक्षा तंत्र को भेदते हुए भीतर घुसकर उसके हवाई अड्डों और आतंकी ठिकानों को भी नष्ट किया। इन मिसाइलों का प्रहार इतना विकराल था कि पाकिस्तान कुछ ही घंटों में घुटने के बल आ गया और शांति की गुहार लगाने लगा।

NOTE :-

अस्वीकरण : यह आर्टिकल विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और अन्य उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह आर्टिकल लिखा गया है। इस आर्टिकल में दी गई जानकारी को पूरी तरह आधिकारिक न माना जाए। आर्टिकल से जुड़ी कोई भी निर्णय लेने से पहले एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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