एमपी में 7,000 मीट्रिक टन धान गायब! कलेक्टर ने 23 करोड़ रुपये के भुगतान पर लगाई रोक

भोपाल: मध्य प्रदेश में सरकारी धान खरीद प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। राज्य के विभिन्न गोदामों से करीब 7,000 मीट्रिक टन धान रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। इस घोटाले का खुलासा होने के बाद कलेक्टर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 23 करोड़ रुपये के भुगतान पर रोक लगा दी है। प्रशासनिक जांच तेज कर दी गई है, और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।


कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

मध्य प्रदेश सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीदकर गोदामों में स्टोर करती है। हाल ही में जब अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन किया, तो स्टॉक में 7,000 मीट्रिक टन धान की कमी पाई गई। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका है।

जांच में यह भी सामने आया कि कागजों पर यह धान मौजूद था, लेकिन हकीकत में गोदामों में उसका कोई अता-पता नहीं था। इसके बाद प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करना शुरू कर दिया।


कलेक्टर की सख्त कार्रवाई

घोटाले की गंभीरता को देखते हुए जिले के कलेक्टर ने 23 करोड़ रुपये के भुगतान पर तुरंत रोक लगा दी। अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

घोटाले में कौन है जिम्मेदार?

प्रारंभिक जांच के आधार पर संदेह जताया जा रहा है कि इस घोटाले में कुछ अधिकारियों, ठेकेदारों और गोदाम प्रबंधकों की मिलीभगत हो सकती है। सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) गठित कर इस मामले की तहकीकात शुरू कर दी है।


अब क्या होगी अगली कार्रवाई?

दोषियों की पहचान और सख्त कानूनी कार्रवाई
भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों का निलंबन और गिरफ्तारी
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली मजबूत करना
धान भंडारण और परिवहन की डिजिटल ट्रैकिंग लागू करना


निष्कर्ष

मध्य प्रदेश में 7,000 मीट्रिक टन धान का गायब होना एक बड़ा घोटाला माना जा रहा है। हालांकि, प्रशासन ने समय पर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन यह देखना अहम होगा कि दोषियों को कब तक सजा मिलती है और सरकार भविष्य में इस तरह की धांधलियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।

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